चेहरे पर गंभीर आवरण ओढ़े हुए व्यक्ति सीने के अंदर दुख का कितना बड़ा पहाड़ छुपाए रहता है, जगत इसकी जीती जागती मिसाल था।
वह काफी निर्भीक और निडर फोटोजर्नलिस्ट था।
गलत बातें बिल्कुल बर्दाश्त नहीं थी।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में वरिष्ठ साथियों के सम्मान में अक्सर कुर्सी छोड़कर खड़े हो जाना उसकी आदत थी।
मुझे एक वाकया अच्छी तरह याद आता है।
रायबरेली के फुरसतगंज स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फैशन टेक्नोलॉजी अपनी स्थापना दिवस समारोह मना रहा था।
इसका आयोजन गोमतीनगर स्थित ताज होटल में था, मैं भी उक्त कार्यक्रम का कवरेज करने गया था।
आयोजकों ने प्रेसवार्ता रखी थी। एनआईएफटी के छात्रों की भी ड्यूटी लगी हुई थी।
उन छात्रों में से किसी ने पत्रकारों से आगे की पंक्ति में बैठने को लेकर कुछ अपशब्द कह दिए थे।
हालांकि यह बात प्रेस फोटोग्राफर के लिए नहीं थी क्योंकि वह तो वैसे भी खड़े होकर फोटो खींचते हैं बैठना उनके लिए कोई मजबूरी नहीं होती है।
फिर भी वह बहुत गुस्से में आ गया और खड़ा हो करके बोला कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का बायकॉट करो। इसकी हिम्मत कैसे हुई हमारे साथी पत्रकार से असभ्य लहज़े में बात करने की।
जगत का रौद्र रूप देखकर आयोजकों के हाथ पैर ढीले हो गए।
उन्होंने बहुत मान मनुहार की तब जाकर जगत का गुस्सा ठंडा हुआ था।
ऐसे एक नहीं कितने किस्से हैं जब उसने बहादुरी की छाप छोड़ी।
फोटोजर्नलिस्ट और पत्रकारों के बीच खिंची महीन लक्ष्मण रेखा को पार कर वह आसानी से इधर घूम लेता था।
कानपुर रोड स्थित पिकाडली होटल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस थी।
मैं साथी पत्रकार के साथ कवरेज करने गया था।
वापसी में उन्हें कोई जरूरी काम पड़ गया और वह एलडीए कॉलोनी मोड़ पर मुझे उतार कर चले गए।
मैं साधन के इंतजार में खड़ा था।
अचानक जगत मेरी निगाहों के सामने से कैमरा लटकाए तेजी से निकला।
करीब 25 मीटर आगे जाकर उसने मोटरसाइकिल रोकी, वापस आया और पूछा दादा यहां क्यों खड़े हो?
मैंने कहा ऑटो का इंतजार कर रहा हूं।
जगत ने कहा मैं सामने से निकला और आपने हाथ देकर मुझे रोका क्यों नहीं?
चलो बैठो मैं छोड़ देता हूं।
मुझे वापसी में सूचना निदेशालय आना था जबकि उसे वीवीआईपी गेस्ट हाउस में काम था।
मैं मना करता रहा लेकिन मुझे सूचना निदेशालय के गेट पर छोड़ने के बाद ही वो वापस गया।
कई वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्रियों से जगत के घनिष्ठ संबंध थे।
बसपा के एक तत्कालीन एमएलसी तो बाकायदा उसे अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस कराने की ज़िम्मेदारी सौंप दिए थे।
अपार दुख की इस घड़ी में समूचा पत्रकार जगत अपने जगत के परिवार के साथ खड़ा है।
फोटो जर्नलिस्ट के आकस्मिक निधन से शोक की लहर